पीलिया (Jaundice) ज्यादातर छोटे बच्चों को होता है, लेकिन सभी उम्र के पुरुषों और महिलाओं को पीलिया हो सकता है। पीलिया की बीमारी में शरीर का रंग पीला पड़ जाता है और खून की कमी हो जाती है। अगर पीलिया अधिक मात्रा में बढ़ जाए तो आंखों में भी पीलापन नजर आता है।
पीलिया क्या होता है?
पीलिया (Jaundice) एक तरह की बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन (Bilirubin) का स्तर बढ़ने से होता है। पीलिया बीमारी में शरीर का रंग पीला पड़ जाता है। पीलिया का शुरुआती असर नाखूनों में देखा जा सकता है। वयस्कों में पीलिया होना बहुत ही दुर्लभ है लेकिन यह बीमारी सभी उम्र के व्यक्तियों को घेर सकती है।
बिलीरुबिन (Bilirubin) हिंदी में – पितरंजक
पीलिया क्यों होता है?
बच्चों में पीलिया रोग होने का कारण शरीर में बिलीरुबिन (Bilirubin) के स्तर का बढ़ना होता है। जब शरीर में बिलीरुबिन (Bilirubin) की मात्रा बढ़ जाती है तो पीलिया रोग होता है।
पित्त रंजक यानी बिलरुबिन का निर्माण शरीर के ऊतकों और शरीर में मौजूद खून में होता है। जब हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं टूटती है, तब चितरंजन का निर्माण होता है। और जब यह अधिक मात्रा में होता है तो उसे पीलिया कहा जाता है।
वयस्कों में पित्त मार्ग में रुकावट या फिर यकृत की शिथिलता के कारण पीलिया रोग हो सकता है। ऐसा होने पर शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसका पता खून की जांच से किया जाता है।
पीलिया के लक्षण
पीलिया (Jaundice) को अलग-अलग तरह से पहचाना जा सकता है। लेकिन पीलिया होने की जांच करने से पहले कुछ ऐसे पीलिया के लक्षण हैं जिनसे हम इसके बारे में पता लगा सकते हैं।
- यदि त्वचा का रंग पीला होना शुरू हो जाए तो यह पीलिया के लक्षण में से एक है।
- पीलिया होने पर पेशाब का रंग अत्याधिक पीला हो जाता है। यदि पेशाब का रंग पीला या फिर भूरा रंग है तो यह पेशाब में बिलीरुबिन होने के संकेत हैं। जो आपके शरीर में पीलिया के लक्षण को दर्शाता है।
- पीलिया होने पर मल का रंग वसायुक्त पीला होता है।
- बच्चा का रंग पीला होने के साथ-साथ खुजली होती है तो यह पीलिया के लक्षण में से एक है।
- आंखों में सफेद रंग की जगह है पीला रंग दिखाई पड़ता है।
- छोटे बच्चों में अक्सर पीलिया होने पर दातों का रंग पीला या हल्का हरा हो जाता है।
- हाथों के नाखून का रंग पीला होना भी पीलिया के लक्षण हैं।
- पीलिया होने पर शरीर का तापमान बढ़ता है।
- वजन कम होना और कमजोरी महसूस होना पीलिया के लक्षण है।
- हल्के रंग का मल त्याग होना, कब्ज की शिकायत और शरीर में जलन।
बच्चों में पीलिया के शुरुआती लक्षण
- छोटे बच्चों के माथे पर हल्के पीले धब्बे नजर आते हैं।
- आंखों में सफेद रंग की जगह पीलापन नजर आता है।
- दातों का रंग हल्का पीला या हरा नजर आता है।
- चेहरे और हाथों की त्वचा को दबाने पर पीलापन बच्चों में पीलिया के शुरुआती लक्षण में से एक है।
पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए
सामान्यतः खून में बिलीरुबिन का स्तर 1% या फिर इससे कम होना चाहिए। यदि खून में बिलीरुबिन का स्तर 2.5% या उससे अधिक होता है तो यह पीलिया बीमारी है।
पीलिया रोग के कारण
पीलिया रोग (Jaundice) मुख्यतः दूषित पानी, बाहर का खानपान, दूषित भोजन व दूषित दूध के कारण हो सकता है। शिशु में पीलिया होने के दूसरे अन्य कारण हो सकते हैं।
यदि आप मलेरिया बीमारी से ग्रस्त हैं तो भी पीलिया होने की संभावना बढ़ जाती है। आपको कोई ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से खून मैं लाल रक्त कोशिकाएं टूटती है तो ऐसा होने से पीलिया रोग होता है।
पीलिया रोग से ग्रस्त व्यक्ति के मल में इसके वायरस मौजूद होते हैं यदि किसी प्रकार से कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आता है तो पीलिया रोग के साथ-साथ दूसरी बीमारी और संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
शिशु को पीलिया होने के कारण
शिशु को 8.5 महीने से पहले पीलिया (Jaundice) रोग होने का ज्यादा खतरा होता है। शिशु का लीवर पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है, जिस कारण शिशु को पीलिया होने की संभावना रहती है। माता-पिता के ब्लड ग्रुप के कारण भी शिशु को पीलिया हो सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि माता-पिता का ब्लड ग्रुप AB और O है, तो बच्चे के जन्म के पश्चात उसे पीलिया होने की संभावना अधिक होती है।
यदि शिशु को मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है तो भी पीलिया रोग शिशु को हो सकता है। शिशु को पीलिया होने के कुछ अलग कारण भी हो सकते हैं जैसे जन्म के दौरान शिशु को किसी प्रकार की चोट लगना, लाल रक्त कोशिकाओं में समस्या, माता-पिता से खून का प्रकार अलग होना इत्यादि।
पीलिया का इलाज हिंदी – Treatment of Jaundice in Hindi
(Jaundice) पीलिया का इलाज इसके होने के कारण पर भी निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति पीलिया रोग से ग्रस्त है तो उसे डॉक्टर से उपचार करवाना चाहिए। और अपनी स्थिति को डॉक्टर को बताना चाहिए। यदि हाल ही में आपकी कोई सर्जरी हुई है या फिर किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो उसके बारे में भी डॉक्टर को बताना चाहिए।
पीलिया होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं, इसीलिए पीलिया होने के कारण का पता लगाकर डॉक्टर द्वारा पीलिया का इलाज किया जाता है। पीलिया के कुछ घरेलू इलाज भी किए जा सकते हैं, और यदि स्थिति गंभीर नहीं है तो आप पीलिया का घरेलू उपचार भी कर सकते हैं।
पीलिया का घरेलू इलाज – Jaundice home remedies in Hindi
- गन्ने के रस में गेहूं के दाने के समान चूना मिलाकर पीने से पीलिया रोग ठीक होता है। यदि गन्ने के रस में चुना ना मिलाना चाहे तो भी गन्ने का रस पीलिया रोग में बहुत लाभकारी होता है। दिन में तीन से चार बार गन्ने रस का सेवन करना चाहिए जिससे पीलिया दूर होगा।
- हल्दी में बहुत गुण मौजूद होते हैं। वैसे तो कहा जाता है कि पीलिया होने पर पीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए, जो असत्य है। यदि आधे गिलास पानी में एक चम्मच हल्दी मिलाकर इसका सेवन किया जाए तो पीलिया रोग ठीक होता है। हल्दी को पानी के साथ पीने से शरीर में मौजूद विषाक्त बाहर आते हैं और शरीर में मौजूद बिलीरुबिन को यह बाहर निकालने में सहायता करता है।
- नारंगी पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करती है। यदि आप नारंगी के जूस का सेवन करते हैं तो उससे लिवर की कमजोरी दूर होती है और शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा कम होती है।
- सुबह के समय छाछ में सेंधा नमक मिलाकर पीने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
- दही का सेवन करने से पीलिया रोग ठीक होता है और संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है।
- गिलोय का रस पीने से पीलिया रोग दूर होता है, यदि गिलोय का रस ना पिया जाए तो इसमें थोड़ी शहद की मात्रा मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए।
- नारियल पानी का सेवन लिवर को स्वस्थ रखता है और पीलिया बीमारी में अत्याधिक लाभदायक होता है।
- पपीते की बिना मसाले वाली सब्जी बनाकर इसका सेवन करने से पीलिया ठीक होता है। यदि पपीते के बिना मसाले वाली सब्जी ने खाई जाए तो पका हुआ पपीता खाने से भी पीलिया में लाभ प्राप्त होता है।
- एक शीशा के बर्तन में नींबू रस लें और उसमें प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े कर कर मिला ले। जब प्याज नींबू रस में अच्छी तरह से डूब जाए तो उसमें सेंधा नमक व काली मिर्च डाल दें। अब इस मिश्रण का सेवन सुबह-शाम करें। ऐसा करने से पीलिया ठीक होगा।
- 10 ग्राम मिश्री में 50 ग्राम मूली के पत्तों का अर्क मिलाकर सुबह बासी मुंह सेवन करें। यह पीलिया ठीक करने का रामबाण नुक्सा है।
पीलिया में क्या खाना चाहिए?
- जॉन्डिस में दही का सेवन बहुत लाभकारी होता है।
- मूली और प्याज को सलाद के रूप में खाना चाहिए इससे पीलिया रोग ठीक करने में मदद मिलती है।
- ताजा व शुद्ध भोजन का सेवन करना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पिए ताकि लीवर में मौजूद विषाक्त बाहर निकले।
- नारियल पानी का सेवन करना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा फलों का रस जैसे नींबू संतरा व अन्य फल का सेवन करना चाहिए।
- छाछ व मट्ठे का सेवन करना चाहिए।
- हल्का खाना
पीलिया में परहेज – Avoidance in Jaundice in hindi
- पीलिया रोग में बाहर का खाना खाने से बचें।
- दाल और राजमा खाने से बचें।
- मक्खन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एक साथ पेट भर कर खाना ना खाएं, बल्कि थोड़ा-थोड़ा कर दिन भर खाना चाहिए।
- चाय और कॉफी का सेवन न करें।
- नॉनवेज जैसे मीट, चिकन, मछली, अंडा इत्यादि का सेवन ना करें।
- तला हुआ खाना ना खाए।
- ज्यादा मिर्च और मसालेदार खाने से परहेज करें।
- शराब का सेवन ना करें।
- अचार खाने से बचें।
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