नीम का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि और घरेलू उपचार के रूप में हजारों सालों से होता आया है। हमारे शरीर के लिए नीम के फायदे अनेकों प्रकार के हैं और इसका उपयोग छोटी या बड़ी बीमारियों के लिए किया जाता है। नीम को उसके कड़वे स्वाद के कारण भी जाना जाता है।
भारत देश में नीम के पेड़ का एक अलग महत्व है, जहां हम इसका उपयोग अलग-अलग रोगों को ठीक करने में करते हैं वही नीम के पेड़ को भारत में पूजा जाता है। कल्पवृक्ष नीम के पेड़ का दूसरा नाम है। आप शायद कुछ ही नीम के फायदे जानते होंगे, जैसे कि नीम का उपयोग चर्म रोग में, घाव भरने में उपयोग होता है।
इस लेख में आपको नीम के 20 से अधिक फायदों के बारे में जानने को मिलेगा। और नीम से होने वाले फायदे के साथ-साथ किस तरह से इसे औषधि के रूप में उपयोग करना है, उसकी जानकारी भी आपको यहां पर मिलेगी।
नीम का पेड़
नीम का पेड़ एक पतझड़ वृक्ष है जिसकी लंबाई सामान्यतः 20 से 25 मीटर तक होती है परंतु नीम के पेड़ को 50 मीटर तक लंबा भी देखा गया है।
नीम के पेड़ का तना सीधा होता है और डालियां काफी फैली हुई मौजूद होती हैं। नीम के पेड़ का फल अंडाकार आकार का होता है जिसे निंबोली कहा जाता है। नीम के फल का स्वाद कड़वा और मीठा होता है। गांव में निंबोली को बच्चों द्वारा बड़े चाव से खाया जाता है।
अन्य भाषाओं में नीम के नाम
भाषा | नाम |
हिंदी | नीम, निम्ब |
संस्कृत | निम्ब, काकुल, निम्बक, प्रभद्र, पूकमालक, पीतसारक, गजभद्रक, सुमना, सुभद्र, शुकप्रिय, शीर्षपर्ण, शीत, धमन, अग्निधमन, पिचुमर्द, पिचुमन्द, तिक्तक, अरिष्ट, हिङ्गुनिर्यास, सर्वतोभद्र, मालक, अर्कपादप, छर्दन, हिजु |
अंग्रेजी | मार्गोसा ट्री (Margosa Tree), नीम (Neem) |
गढ़वाली | बेटैन, निम |
उड़िया | नीमो, निम्ब |
उर्दू | नीम |
गुजराती | लिंबा, कोहुम्बा |
कन्नड़ | निम्ब, बेवू |
तमिल | बेम्मू, वेप्पू |
तेलगू | वेमू, वेपा |
नेपाली | नीम |
पंजाबी | निम्ब, निप, बकम |
बंगाली | निम, निमगाछ |
मलयालम | वेप्पू, निम्बम |
मराठी | बलंटनिंब |
अरबी | मरगोसा, निम, अजडेरिखत |
पारसी | नीब, निब, आज़ाद दखतूल हिंद |
नीम के फायदे
सफेद बालों की समस्या
- नियमित तौर पर एक एक बूंद नीम के बीज का तेल नाक में डालने पर सफेद हुए बाल भी काले हो जाते हैं। यदि आप नीम के बीज के तेल की बूंद नाक में डाल रहे हैं तो उस समय पर गाय के दूध का सेवन करना चाहिए।
- भांगरा के रस को नीम के बीजों और असन पेड़ की छाल के काढ़े में भिगोकर रख दें। जब यह मिश्रण सूख जाए तब दोबारा से इसे गिला करें और छाया में सुखा दें। तीन से चार बार ऐसा करने पर नीम के बीज इस मिश्रण को अच्छे से सोख लेंगे। अभी नीम के बीजों का रस निकालकर नियमित तौर पर नाक में एक-एक बूंद डालें। इस समय केवल गाय का दूध और सफेद पके हुए चावल का ही सेवन करें।
यदि आप इन दोनों उपायों में से किसी भी एक उपाय को नियमित तौर पर कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि उस दौरान सिर्फ गाय के दूध का ही सेवन करना है। यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो यह तरीका कम असर दायक होगा। इसके साथ साथ कुछ अन्य तरीके भी हैं जिनकी मदद से आप नीम का उपयोग करके अपने सफेद बालों की समस्या को दूर कर सकते हैं।
नीम के पत्तों और बेर के पत्तों को अच्छी तरह पीसकर उनका लेप सिर पर लगाने से बाल काले और घने हो जाते हैं। इसके अलावा यदि आप नीम के पत्तों को पानी में अच्छी तरह से उबालकर उस पानी का उपयोग ठंडा होने पर नहाने के लिए करते हैं या उससे सिर धोते हैं तो बालों का झड़ना रुकता है और वह मजबूत होते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप नीम के पानी से सिर धो रहे हैं या नहा रहे हैं तो कम से कम 1 घंटे तक बाहर हवा में ना निकले।
सिर में फुंसी
अक्सर लोगों को सिर में छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं, यह फुंसियां ज्यादातर बालों के बीच पाई जाती हैं जिसमें न केवल खुजली होती है बल्कि कई बार इनमें से पीप भी निकलता है। यदि इस तरह की समस्या से कोई व्यक्ति जूझ रहा है तो नीम का उपयोग करने से यह समस्या दूर होती है।
- यदि सिर में छोटी-छोटी फुंसियां हैं और उनमें खुजली होती है तो नीम का तेल लगाने से तुरंत लाभ मिलता है।
- फुंसियों में खुजली के साथ-साथ अगर पीप की समस्या है, तो ऐसी स्थिति में सिर को नीम के काढ़े के साथ धोकर नीम का तेल लगाना चाहिए। 1 हफ्ते तक लगातार सिर और बालों को नीम के काढ़े के साथ धोने और नीम तेल लगाने से सिर की फुंसियां ठीक होती हैं।
- यदि सिर में फुंसी होने के शुरुआती लक्षण दिख रहे हैं तो नीम के पत्तों को उबालकर ठंडे हुए पानी से सिर धोने से सिर में फुंसी होना रुक जाता है।
जुएं और लीखें
हमारे सिर में जुएं और लिखें सिर की अच्छी तरह से सफाई न होने के कारण पनपती हैं। परंतु कई बार किसी दूसरे व्यक्ति से भी हमारे सिर में जुएं और लिखे हो जाती हैं। अक्सर इन से छुटकारा पाने के लिए हम केमिकल्स और अन्य बाजार के प्रोडक्ट्स का उपयोग करते हैं, परंतु नींद से भी जुड़े और लिखें खत्म की जा सकती हैं।
- 15 से 20 नीम के बीज का गुदा लें और उन्हें अच्छी तरह से पीस लें, पिसे हुए नीम के बीच में नीम का तेल मिलाएं और उसका लेप सिर पर अच्छे से करें। 1 घंटे तक इस लेप को सिर पर रहने दें और साफ पानी के साथ सिर को धो लें। ऐसा करने से सिर की जुएं और लिखें समाप्त होती हैं।
- नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर सिर पर लेप करने से भी लिखें और जुएं खत्म होती है।
सिर का दर्द
सिर का दर्द भगाने के लिए नीम का उपयोग बहुत ही लाभदायक होता है। थोड़े से सूखे नीम के पत्ते लें और उनमें समान मात्रा में चावल और काली मिर्च को मिलाकर उनका चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को कपड़े से छान लें ताकि यह बारीक हो जाए।
अब इस चूर्ण को नाक द्वारा सूंघने से सिर का दर्द ठीक होता है। यदि किसी व्यक्ति को अधकपारी यानी माइग्रेन का दर्द है तो इस चूर्ण को उसी और की नाक में डालें जिस और सिर में दर्द हो। ऐसा करने से माइग्रेन के दर्द में लाभ मिलता है। यदि इस चूर्ण का उपयोग सूर्योदय से पहले किया जाए तो यह अत्यंत लाभकारी होता है।
रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए नीम के उपयोग
नीम के अंदर ब्लड प्रेशर के स्तर को कम करने के गुण होते हैं। यदि कोई व्यक्ति उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित है तो उसे नीम का सेवन करना चाहिए।
सुबह-सुबह कच्चे नीम के पत्ते चबाने से रक्तचाप की समस्या ठीक होती है।
नीम के उपयोग से कान बहना रोकें
- यदि कान से पीप निकलती है तो नीम के तेल में शहद मिलाकर रूई द्वारा कान में लगाने से लाभ प्राप्त होता है। यदि समस्या अधिक गंभीर है तो डॉक्टर द्वारा परामर्श जरूर लें।
- नीम के पत्तों का रस निकालें और समान मात्रा में शहद मिलाकर इस मिश्रण को कान में डालने से कान का बहना रुकता है।
- 50 मिलीलीटर नीम के पत्तों का रस लें और समान मात्रा में तिल के तेल को नीम के पत्तों के रस में मिला लें। अब इस मिश्रण को पकाएं। जब नीम के पत्तों का रस उड़ जाए और मात्र तेल ही शेष रहे तब इसे छानकर रख लें। ठंडा होने पर इसकी बूंदे कान में डालने से कान का बहना रुक जाता है।
नीम के अंदर एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के साथ-साथ एंटीसेप्टिक गुण भी मौजूद होते हैं इसीलिए कान बहना रोकने के लिए नीम का उपयोग अत्यंत लाभकारी साबित होता है। अन्य तरीकों से भी कान बहना रोकने के लिए नीम के उपयोग किए जा सकते हैं।
50 मिलीलीटर नीम का तेल लेकर उसमें 6 ग्राम मॉम को कर ले। जब मोम गल जाए तब फुलाई हुई फिटकरी का 800 मिलीग्राम चूर्ण इसमें मिला लें। अब इस मिश्रण को ठंडा करके शीशे की बोतल में रखें। इस मिश्रण को दिन में दो बार 2-2 बूंदें कान में डालें। ऐसा करने से भी बहता हुआ कान ठीक होता है।
नीम के उपयोग से नकसीर का इलाज
नीम की हरी पत्तियां लें और उसमें बराबर मात्रा में अजवाइन को मिलाकर अच्छी तरह से पीस लें। अब इस मिश्रण को कनपटियों पर लगा ले। इस लेप को लगाने से नकसीर का इलाज होता है और नाक से खून बहना रुक जाता है।
आंखों के इलाज में नीम के उपयोग
यदि आपके आंखों में दर्द रहता है, या फिर खुजली और लाली से परेशान है तो नीम का प्रयोग करने से यह रोग ठीक होते हैं।
- नीम के कोमल पत्तों का रस लें और उसे हल्का गुनगुना गर्म कर लें। अब जिस आंख में दर्द हो उसके विपरीत दिशा वाले कान में दो बूंद नीम के पत्तों का रस डालने से आंख का दर्द ठीक होता है। यदि दोनों आंखों में दर्द हो तो दोनों कानों में नीम के पत्तों का रस टपक आने से दर्द समाप्त होगा।
- 250 ग्राम नीम के पत्तों को मिट्टी के बर्तन में रखकर कंडों की आग में डालें, अब नीम के पत्तों से बनी रात में 50 मिलीलीटर नींबू का रस मिलाकर अच्छी प्रकार से सुखा लें। अब इस मिश्रण को शीशे की बोतल में भरकर रख लें और हवा ना लगने दें। हवा लगने पर यह मिश्रण खराब हो सकता है। इस राख को काजल की तरह आंखों में लगाने से आंखों की खुजली और जलन दूर होती है।
- 50 नीम के कोमल पत्ते, 50 ग्राम जस्ता भस्म, 12 से 13 लौंग नग, 10 छोटी इलायची और 50 ग्राम मिश्री को अच्छी तरह से मिला लें। अब इस मिश्रण को पीसकर कपड़े से छान लें ताकि इसका बारीक चूर्ण निकल पाए। अब इस महीने से और चने हुए मिश्रण का काजल बना लें और सुबह काजल लगाएं। रात को सोते समय भी इस काजल का प्रयोग करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और सभी प्रकार के रोग दूर होते हैं।
10+ आँखों के रोगों का नीम से इलाज
नीम के उपयोग से दांतो के रोगों का घरेलू इलाज
पुराने समय में नीम का उपयोग दातुन के रूप में बहुत अधिक होता था। आज के समय में नीम की दातून की जगह आधुनिक टूथपेस्ट ने ले ली है। लेकिन धीरे-धीरे लोग नीम की दातून को अपना रहें हैं। इसमें मौजूद आयुर्वेदिक गुण आपके दांतों की समय को दूर करने में मदद करते हैं।
- नीम की कच्ची लकड़ी से दातुन करने से दांतों के रोग ठीक होते हैं और दांत स्वस्थ होते हैं।
- 50 ग्राम नीम की जड़ लें और उसे अच्छी प्रकार से कूट लें। अब इसमें 250 ग्राम पानी मिलाकर अच्छी प्रकार से उबालने। उबले हुए पानी को गुनगुना होने तक रखें और इस पानी से कुल्ला करें। नियमित तौर पर इस पानी का कुल्ला करने से दातों के अनेक प्रकार के रोग समाप्त होते हैं।
- 50 ग्राम नीम की जड़ का चूर्ण, 50 ग्राम सोना गेरू, 10 ग्राम सेंधा नमक ले और तीनों के मिश्रण का अच्छी प्रकार से चूर्ण बना लें। महिंद्र पीसने के पश्चात इसे कपड़े से छान लें। अब इस मिश्रण में नीम के पत्तों का रस मिलाकर छाया में सुखा लें। जब यह मिश्रण अच्छी प्रकार से सूख जाए तो दोबारा से नीम के पत्तों का रस इसमें मिलाकर छाया में सुखाएं। अब इस मिश्रण को किसी शीशी में भरकर रख लें। इस मिश्रण का मंजन की तरह उपयोग करें ऐसा करने से दांतों के रोग जैसे दांतों से खून आना, मसूड़ों की समस्या, मुंह में छाले होना, मुंह से दुर्गंध आना, दातों से पीप निकलना इत्यादि समस्याएं दूर होंगी।
डायबिटीज बीमारी में नीम के फायदे
डायबिटीज यानी मधुमेह, जब हमारे शरीर में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है तो मधुमेह रोग यानी डायबिटीज होती है। नीम के पत्तों में और नीम की लकड़ी या छाल में कड़वाहट मौजूद होती है जो मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है।
एक रिसर्च के मुताबिक यह पाया गया है कि नींद में मौजूद गुण ब्लड शुगर कम करने में सहायक हैं और इसके उपयोग से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। नीम में मौजूद हाइपोग्लाइसेमिक और एंटी हाइपरग्लिसमिक गुण के कारण यह मधुमेह रोग से बचाव में सहायक हैं और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित कर सकता है।
नियमित तौर पर नीम के पत्ते चबाने से मधुमेह रोग से छुटकारा पाया जा सकता है और उसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आप किसी दवा का उपयोग मधुमेह के लिए कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर द्वारा इसकी सलाह जरूर लेनी चाहिए।
- 5 ग्राम नीम के पत्ते का रस लें और उसमें शहद मिलाकर उसका सेवन करें। ऐसा करने से डायबिटीज रोग में फायदा होता है।
- 10 मिलीग्राम नीम के पत्ते के रस में आधा ग्राम नीला थोथा अच्छे से मिला लें। अब इस मिश्रण को छांव में सुखाकर कौड़ियों में रखकर जला लें और इसकी भस्म तैयार कर लें। तैयार भस्म को गाय के दूध के साथ दिन में 2 बार लेने से डायबिटीज की समस्या ठीक होती है।
पेट के कीड़ों को खत्म करें
नीम के फायदे की लिस्ट में पेट के कीड़ों को खत्म करना भी आता है। नीम के उपयोग से पेट के कीड़ों को खत्म किया जा सकता है और पेट के अन्य रोग भी ठीक होते हैं।
- 15 से 20 नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर शहद के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
- बैंगन की सब्जी के साथ 10 से 12 पदों को छोड़कर इसका सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
पेट के कीड़े के लक्षण, घरेलू दवा – रातों-रात फायदा
एसिडिटी में नीम के फायदे
एसिडिटी की समस्या में हम नीम का उपयोग करके इससे निजात पा सकते हैं। एसिडिटी से संबंधित नीम के फायदे नीचे दिए गए हैं।
- 6 ग्राम नीम की डंडी, और बराबर बराबर मात्रा में सोंठ, धनिया और शक्कर लेकर मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करें। इस काढ़े का सेवन करने से एसिडिटी की समस्या और खट्टी डकार की समस्या दूर होती है।
- एक चम्मच नीम पंचांग का चूर्ण, दो चम्मच विधारा चूर्ण, और 10 चम्मच सत्तू को मिलाकर रखें। अब इस मिश्रण को शहद के साथ लेने से एसिडिटी में लाभ प्राप्त होता है।
उल्टी में नीम के फायदे
- 10 नीम की सिंक (जिन पर नीम के पत्ते लगते हैं), तीन बड़ी इलायची और छह काली मिर्च को एक साथ पीस लें। अब इस चूर्ण को पानी के साथ लें, इसके सेवन से उल्टी बंद हो जाती है।
- 10 ग्राम नीम की छाल के रस में शहद मिलाकर पीने से उल्टी में लाभ होता है।
- नीम के पत्तों के रस को पानी के साथ सेवन करने से उल्टी की समस्या दूर होती है।
- नीम के पत्तों को भी में भूनकर उनका सेवन करने से उल्टी रूकती है।
दस्त में नीम के फायदे
- सौ ग्राम नीम की अंदर की छाल लें और 600 मिलीलीटर पानी में इस नीम की छाल को अच्छी प्रकार से उबाल लें। अब इस पानी को एक बर्तन में निकाल ले और बची हुई छाल को 600 मिलीलीटर पानी में दोबारा से उबालें। जब यह मिश्रण 200 मिलीलीटर शेष रह जाए तो पहले निकाले हुए पानी में इसे मिला लें। अब इस पानी को किसी शीशी में भर लें और 50 50 मिलीलीटर दिन में तीन से चार बार इसका सेवन करें। ऐसा करने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- 250 ग्राम नीम के अंदर की छाल लें और उसे जलाकर उसकी राख बना लें। अब उस रात का दही के साथ दिन में दो से तीन बार सेवन करें। ऐसा करने से अतिसार यानी दस्त की समस्या ठीक होगी।
पेट संबंधी बीमारियों में नीम के फायदे अनेकों प्रकार के हैं। प्रातः काल में तीन से चार नीम की पक्की हुई निंबोली आंख आने से 35 की समस्या भी ठीक होती है और भूख बढ़ती है। यदि हैजा की बीमारी है तो 10 ग्राम नीम के पत्ते के साथ कपूर मिलाकर खाने से फायदा पहुंचता है।
बवासीर में नीम के फायदे
बवासीर कैसी बीमारी है जिसके होने पर व्यक्ति अत्यधिक परेशान रहता है। बवासीर का घरेलू उपचार में नींद भी सम्मिलित है। बवासीर में नीम के फायदे अत्याधिक हैं और इसके उपयोग से बवासीर की समस्या ठीक की जा सकती है।
नीचे कुछ बवासीर होने पर नीम के उपयोग दिए गए हैं:
- सौ ग्राम नीम का तेल लें और उसमें 6 ग्राम कच्ची फिटकरी और 6 ग्राम सुहागा को पीसकर अच्छी प्रकार से मिला लें। सोच क्रिया के पश्चात पानी से अच्छी प्रकार धोनी और उसके उपरांत इस मिश्रण को उंगली से गुदाद्वार के भीतर लगाएं। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में बवासीर की समस्या ठीक होती है।
- नीम की निंबोली को छिलके सहित कूटकर सुखा लें। अब इस सूखी हुई निंबोली का चूर्ण बनाकर नियमित तौर पर 2 से 3 ग्राम सेवन करें। ऐसा करने से बवासीर के रोग में लाभ होता है। इस चूर्ण का उपयोग सुबह के समय करना अधिक लाभ देता है। यदि आप इस चूर्ण का उपयोग कर रहे हैं तो इस दौरान गाय के घी का प्रयोग अवश्य करें। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है।
पेट और लीवर को स्वस्थ रखें
नीम के पत्ते, छाल, और नीम के फल का सेवन करने से लीवर स्वस्थ रहता है। नीम का सेवन करने से लीवर को पहुंची क्षति भी ठीक होती है और इसके साथ-साथ कैंसर जैसी बीमारियों से भी नीम बचाव कर सकता है।
सुबह ख़ाली पेट नीम से पत्ते खाने से लिवर ठीक होता है। पेट से जुड़ी समस्याएँ भी नीम के पत्ते के सेवन से ठीक होती हैं।